कभी ठंड में ठिठुर के देख लेना,
कभी तपती धूप में जल के देख लेना,
कैसे होती है हिफाज़त मुल्क की,
कभी सरहद पर चल के देख लेना ।
कभी दिल को पत्थर करके देख लेना,
कभी अपने जज्बातों को मार के देख लेना,
कैसे याद करते है मुझे मेरे अपने,
कभी अपनों से दूर रहकर देख लेना ।
कभी वतन के लिए सोच के देख लेना,
कभी माँ के चरण चूम के देख लेना,
कितना मज़ा आता है मरने में यारो.....
कभी मुल्क के लिए मरके देख लेना ।
कभी सनम को छोड़ के देख लेना,
कभी शहीदों को याद करके देख लेना,
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो.....
मेरी तरह देश से कभी इश्क करके देख लेना ।
♥♥♥♥♥♥♥
वंदे मातरम् ।
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